24 जनवरी 2024 को 36वीं वाहिनी सशस्त्र सीमा बल ने गेजिंग (सिक्किम) के डी समवाय मानेभानजंग क्षेत्र में एक अद्वितीय समारोह का आयोजन किया। इस मौके पर सशस्त्र सीमा बल के कमांडेंट श्री अजीत मोहन और द्वितीय कमान अधिकारी श्री दिलीप कुमार झा की उपस्थिति में रंगीत मझुआ गांव में चल रहे 20 दिवसीय सिलाई प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन किया गया।
इस कार्यक्रम का आयोजन सशस्त्र सीमा बल द्वारा नागरिक कल्याण कार्यक्रम के अंतर्गत किया गया था। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम 10 लाभार्थियों को सिखाता है कि कैसे वे सिलाई कौशल का सीखने के माध्यम से अपने जीवन को सजाकर सशक्त बना सकते हैं। इसके माध्यम से सीमा बल ने समाज के उत्थान के लिए एक प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से एक सकारात्मक कदम उठाया है।
समारोह में उपस्थित सभी लोगों को एक साथ देखकर एक सामूहिक भावना बनी रही। यहाँ पर सशस्त्र सीमा बल के सदस्यों ने गाँव के लोगों के साथ मिलकर एक अच्छे और सुरक्षित माहौल को बनाए रखने के लिए समर्थन किया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य था सामूहिक समृद्धि को बढ़ावा देना और सीमा क्षेत्र में सामाजिक संबंधों को मजबूत करना।
समापन समारोह में श्री अजीत मोहन ने एक प्रेरणादायक भाषण दिया, जिसमें उन्होंने सशस्त्र सीमा बल के सदस्यों को उनके समर्पण और कड़ी मेहनत के लिए सराहा। उन्होंने यह भी बताया कि इस प्रकार के कार्यक्रम से समाज को उन्नति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मिलेगा।
इस समारोह के दौरान, सशस्त्र सीमा बल ने 10 लाभार्थियों को सम्मानित किया, जो प्रशिक्षण कार्यक्रम के सफल समापन के लिए अपने समर्पण और मेहनत के लिए चयनित हुए। इन लाभार्थियों को श्री अजीत मोहन और श्री दिलीप कुमार झा ने उन्हें पुरस्कृत किया और उन्हें प्रमाणपत्र और उपहारों से नवाजा।
यह प्रशिक्षण कार्यक्रम गाँव के लोगों के लिए एक साकारात्मक और उत्साही अनुभव था, जिसने उन्हें नई कौशल सिखने का एक मौका प्रदान किया। सशस्त्र सीमा बल के सदस्यों ने गाँव के लोगों के साथ मिलकर एक दूसरे को समर्थन और सहयोग देने का संकल्प भी किया।
इस समारोह के माध्यम से, सशस्त्र सीमा बल ने नहीं सिर्फ सिलाई कौशल को सीखाने का मौका दिया, बल्कि उन्होंने समाज में सामूहिकता, सहयोग, और समर्थन के महत्वपूर्ण सिद्धांतों को बढ़ावा देने का भी संकल्प जताया।
इस सुविधाजनक समापन समारोह ने सशस्त्र सीमा बल की इस पहल को सफलता दिखाई और सिलाई प्रशिक्षण कार्यक्रम ने गाँव के लोगों को नए साकारात्मक दृष्टिकोण में ले जाने में सहारा किया।