Himachal Teacher Training Program
Himachal Pradesh, लर्निंग डिसेबिलिटी की मामूली पहचान से लेकर निदान तक, इस मुद्दे को गंभीरता से लेना जरूरी है ताकि ऐसे बच्चों को सही दिशा और उपाय मिल सकें जो इस समस्या से प्रभावित हो रहे हैं। हिमाचल प्रदेश में तीन फीसदी बच्चे लर्निंग डिसेबिलिटी से जूझ रहे हैं, और यह आंकड़ा गंभीरता की ओर इशारा करता है। इसे देखते हुए, सरकार ने समग्र शिक्षा अभियान के तहत प्रदेश में इस मुद्दे के समाधान के लिए विशेष प्रशिक्षण का आयोजन किया है।
इस प्रशिक्षण के माध्यम से प्रदेश में कुल 120 मास्टर ट्रेनर तैयार किए गए हैं, जो कि विभिन्न जिलों से आए शिक्षकों को लर्निंग डिसेबिलिटी के बारे में शिक्षित कर रहे हैं। ये मास्टर ट्रेनर स्कूलों में क्लस्टर और खंड स्तर पर आकर अन्य शिक्षकों को भी यह प्रशिक्षण देने का कार्य करेंगे। इस प्रक्रिया में कुल्लू जिले में भी एक तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन हुआ, जिसमें कुल्लू, मंडी, बिलासपुर, लाहौल-स्पीति सहित चार जिलों से लगभग 40 स्रोत व्यक्ति शामिल हुए। इन स्रोत व्यक्तियों की मूल धारा स्कूलों में जा कर विभिन्न प्रकार की सरकारी योजनाओं की सहायता प्रदान करेगी और उन्हें विशेष बच्चों के लिए शिक्षा देने की तकनीकें सिखाएगी।
यह प्रशिक्षण शिविर न केवल शिक्षकों के लिए महत्त्वपूर्ण है, बल्कि इससे वे बच्चों को सही गाइडेंस और समर्थन प्रदान कर सकेंगे जो इस समस्या से जूझ रहे हैं। इस सार्वजनिक उद्देश्य के बावजूद, अब तक लर्निंग डिसेबिलिटी के सभी आयामों की सही पहचान और उपचार में कई बारीकियां होती हैं। इसलिए इस प्रशिक्षण की अवश्यकता है ताकि शिक्षक बच्चों को योग्य मार्गदर्शन दे सकें और उन्हें उनकी सामाजिक, मानसिक और शैक्षिक जरूरतों के अनुसार निर्देशित कर सकें।
ऐसी प्रशिक्षण योजनाओं के द्वारा, यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि लर्निंग डिसेबिलिटी के संबंध में जागरूकता बढ़ाई जाए और
समाज को इस तरह की व्यक्तियों के संबंध में अधिक संवेदनशीलता मिले। इससे न केवल विशेष बच्चों की पढ़ाई में सुधार होगा, बल्कि समाज में भी ऐसे व्यक्तियों के प्रति बेहतर समझ और समर्थन की वृद्धि होगी।
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