
“दूरदर्शन से डोमेन तक: 12 लाख केंद्रीय कर्मचारियों के ई-मेल अब ज़ोहो के प्लेटफार्म पर”
नई दिल्ली — एक बड़ी तकनीकी पहल के तहत केंद्र सरकार ने अपने लगभग 12 लाख केंद्रीय कर्मचारियों के ई-मेल खातों को राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) के सर्वरों से हटाकर देश की स्वदेशी कंपनी Zoho के क्लाउड प्लेटफार्म पर संचालित करने की प्रक्रिया पूरी कर ली है।
यह कदम भारत की डिजिटल संप्रभुता (Digital Sovereignty) को सुदृढ़ करने की सरकार की महत्वाकांक्षा को दर्शाता है।
💡 क्या बदला?
डोमेन नाम नहीं बदले गए — कर्मचारियों के ई-मेल पते (जैसे .gov.in या .nic.in) वैसे ही रहेंगे। अंतर यह है कि ई-मेल होस्टिंग और प्रॉसेसिंग अब Zoho के सर्वर पर होंगी। यह ज़ोहो के साथ किया गया सात वर्ष का अनुबंध है, जो पहले ही 2023 में प्रकाश में आया था। सरकार के आंतरिक सूत्रों का कहना है कि ज़ोहो का ऑफिस सुइट पहले से ही NIC के ईमेल सिस्टम में एकीकृत था, लेकिन अब पूरी तरह सक्रिय कर दिया गया है।
🚀 क्यों यह कदम महत्वपूर्ण है?
स्वदेशी तकनीक को बढ़ावा सरकार इस बदलाव को “स्वदेशी आंदोलन” का हिस्सा बताती है — विदेशी प्लेटफार्मों (Google, Microsoft आदि) की निर्भरता कम करना और खुद की तकनीक पर नियंत्रण बनाना। डेटा सुरक्षा और गोपनीयता इस हस्तांतरण से पहले Zoho के प्लेटफार्म की सुरक्षा और अनुपालन कई एजेंसियों द्वारा जांची गई — NIC, CERT-In और SQS जैसी संस्थाएँ समय-समय पर ऑडिट करती रहेंगी। भविष्य में एन्क्रिप्शन की संभावना विशेषज्ञों का मानना है कि बड़े पैमाने पर उपयोग से पहले end-to-end एन्क्रिप्शन और स्वतंत्र सुरक्षा ऑडिट्स अनिवार्य हैं। यह कदम तब तक संवेदनशील सरकारी दस्तावेजों और संचार को सुरक्षित रखना सुनिश्चित नहीं कर पाएगा।
🔍 चुनौतियाँ और विचार
क्या Zoho प्लेटफार्म देश की साइबर चुनौतियों से मुकाबला कर पाएगा? संवेदनशील विभागीय ई-मेल जैसे रक्षा, खुफिया और मंत्रिमंडलीय संचार सुरक्षित रहेंगे या नहीं — यह अभी जांच का विषय है। ज़ोहो की विश्वसनीयता क्या लंबे समय तक बनी रहेगी? इस बदलाव से सरकारी कर्मचारियों को प्रशिक्षित करना और उनका विश्वास बनाये रखना एक बड़ा प्रबंधन कार्य होगा।
🧭 क्या संकेत मिलते हैं आगे के लिए?
हाल ही में, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपनी निजी ई-मेल को Zoho Mail पर स्विच किया, जो इस पहल को उच्च स्तरीय समर्थन और प्रचार देता है।
इसके साथ ही, सरकार की कोशिश है कि भारत केवल सेवा प्रदाता राष्ट्र न बल्कि उत्पादक राष्ट्र बने — यह दिशा डिजिटल और तकनीकी आत्मनिर्भरता की ओर एक मजबूत कदम है।
दोस्तो, अगर आप CAPF से संबंधित सभी ख़बरें पढ़ना चाहते हैं, तो Jawan Times का WHATSAPP CHANNEL जरूर फॉलो करें।