Cyber Fraud Through IVR Calls: How Criminals Deceive and How to Stay Safe | IVR कॉल के जरिए साइबर धोखाधड़ी: अपराधी कैसे करते हैं धोखा और इससे कैसे बचें

Cyber Fraud Through IVR Calls: How Criminals Deceive and How to Stay Safe

Cyber Fraud Through IVR Calls: How Criminals Deceive and How to Stay Safe

साइबर धोखाधड़ी: IVR कॉल के जरिए कैसे बनते हैं लोग ठगी का शिकार?

जवान टाइम्स : आज के डिजिटल युग में साइबर धोखाधड़ी के नए-नए तरीके रोज़ उभरते जा रहे हैं। इन तरीकों में से एक प्रमुख तरीका है IVR (Interactive Voice Response) कॉल के जरिए धोखाधड़ी करना। इस तकनीक का इस्तेमाल अपराधी लोगों को उनकी व्यक्तिगत और वित्तीय जानकारी चुराने के लिए कर रहे हैं। यह तकनीक बेहद ख़तरनाक है क्योंकि इसमें लोग अपनी जानकारी स्वयं ही अपराधियों को दे बैठते हैं, बिना इस बात को समझे कि वे धोखे का शिकार हो रहे हैं।

क्या है IVR धोखाधड़ी?

IVR कॉल धोखाधड़ी का एक तरीका है जिसमें अपराधी एक ऑटोमेटेड फोन सिस्टम का इस्तेमाल करके लोगों से उनकी गोपनीय जानकारी, जैसे बैंक खाता संख्या, क्रेडिट कार्ड की डिटेल्स, OTP (वन टाइम पासवर्ड) इत्यादि प्राप्त करते हैं। अपराधी खुद को बैंक, सरकारी अधिकारी या किसी अन्य भरोसेमंद संस्था का प्रतिनिधि बताकर फोन करते हैं। कॉल पर एक पूर्व-निर्धारित संदेश सुनाया जाता है, जो व्यक्ति को अपनी जानकारी साझा करने के लिए प्रेरित करता है।

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कैसे होती है यह धोखाधड़ी?

  1. पहला कदम: अपराधी एक फर्जी बैंक कॉल या SMS भेजते हैं जिसमें लिखा होता है कि आपके खाते से कुछ गड़बड़ी हुई है या कोई बड़ा ट्रांजैक्शन होने वाला है।
  2. दूसरा कदम: इस संदेश के साथ एक IVR नंबर दिया जाता है जिसे कॉल करने पर व्यक्ति को एक स्वचालित आवाज़ सुनाई देती है। आवाज़ बैंक या सरकारी संस्था के नाम का भरोसा दिलाने वाली होती है।
  3. तीसरा कदम: स्वचालित प्रणाली में व्यक्ति को निर्देशित किया जाता है कि वे अपने अकाउंट डिटेल्स, कार्ड नंबर या OTP डालें ताकि उनके खाते की सुरक्षा की जा सके।
  4. अंतिम कदम: जैसे ही व्यक्ति ये जानकारी साझा करता है, अपराधी उस जानकारी का इस्तेमाल करके व्यक्ति के खाते से पैसे निकाल लेते हैं।

एक मामला: रमेश कुमार की कहानी

रमेश कुमार, एक मध्यमवर्गीय व्यक्ति, हाल ही में इस धोखाधड़ी का शिकार बने। एक दिन उन्हें उनके बैंक के नाम से एक कॉल आई जिसमें बताया गया कि उनके खाते से एक संदिग्ध ट्रांजैक्शन हो रहा है और इसे रोकने के लिए तुरंत IVR कॉल करें। घबराए हुए रमेश ने IVR कॉल पर संपर्क किया, जहां उनसे उनके कार्ड नंबर और OTP की मांग की गई। उन्होंने बिना सोचे-समझे वह जानकारी साझा कर दी।

कुछ ही मिनटों में उनके बैंक खाते से ₹50,000 की निकासी हो गई। जब उन्होंने बैंक से संपर्क किया, तब उन्हें पता चला कि यह एक साइबर धोखाधड़ी थी। इस घटना से रमेश मानसिक और आर्थिक रूप से बहुत प्रभावित हुए।

कैसे बचें IVR कॉल धोखाधड़ी से?

  1. कभी भी व्यक्तिगत जानकारी न दें: बैंक या सरकारी संस्था कभी भी फोन पर आपकी संवेदनशील जानकारी नहीं मांगते। यदि कोई आपसे OTP, पासवर्ड या कार्ड डिटेल्स मांगता है, तो सतर्क हो जाएं।
  2. ऑफिशियल नंबर से ही संपर्क करें: यदि आपको किसी संदिग्ध कॉल या SMS मिलता है, तो अपने बैंक या संबंधित संस्था के आधिकारिक कस्टमर केयर नंबर पर संपर्क करें।
  3. SMS की सत्यता जांचें: फर्जी SMS में अक्सर कुछ टाइपिंग मिस्टेक या अनऑफिशियल लिंक होते हैं। ऐसे लिंक पर कभी क्लिक न करें।
  4. बैंक अलर्ट सेट करें: अपने बैंक खाते में अलर्ट सेवाएं चालू रखें ताकि कोई भी अनऑथराइज्ड ट्रांजैक्शन होने पर आपको तुरंत जानकारी मिले।

IVR कॉल के जरिए साइबर धोखाधड़ी एक गंभीर मुद्दा है जो हर व्यक्ति के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। अगर हम सजग और सतर्क रहें, तो इस तरह की धोखाधड़ी से बचा जा सकता है। समय-समय पर अपनी जानकारी अपडेट करते रहें और किसी भी संदिग्ध कॉल से सतर्क रहें। जागरूकता ही हमारी सबसे बड़ी सुरक्षा है।


इस लेख उद्देश्य केवल लोगों को जागरूक करना है।

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जवान टाइम्स

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