CAPF, NDRF: Lifesavers in Disasters: How much money does the central government take from the state? | आपदा में देवदूत हैं CAPF, NDRF: राज्य से कितने पैसे लेती है केंद्र सरकार?

CAPF, NDRF: Lifesavers in Disasters: How much money does the central government take from the state?

CAPF, NDRF: Lifesavers in Disasters: How much money does the central government take from the state?

आपदा में देवदूत हैं CAPF, NDRF: राज्य से कितने पैसे लेती है केंद्र सरकार?

आपने देखा होगा कि जब भी देश में कोई आपदा आती है या लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति बिगड़ती है, तो केंद्रीय सुरक्षा बल (CAPF) और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) के जवान सबसे पहले मदद के लिए आगे आते हैं। ये जवान अपने बहादुरी और कुशलता से स्थिति को काबू में कर लेते हैं, जिससे जनजीवन को राहत मिलती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन बलों की तैनाती के लिए राज्य सरकारों को केंद्र सरकार को पैसा देना होता है?

CAPF, NDRF: Lifesavers in Disasters: How much money does the central government take from the state?

NDRF की तैनाती के नियम

जब भी कोई प्राकृतिक आपदा आती है, तो NDRF के जवानों को बुलाया जाता है। लेकिन यह कम ही लोग जानते हैं कि राज्य सरकारों को इसके लिए केंद्र सरकार को भुगतान करना होता है। हालाँकि, NDRF के जवान आपदाओं में काम करने के बाद भी, राज्य सरकारों से पैसा नहीं लेते हैं। NDRF के डीआईजी एसएस गुलेरिया ने बताया कि राज्य सरकारों को भुगतान के लिए कहा जाता है, लेकिन NDRF ने अब तक इन पैसों को स्वीकार नहीं किया है। ये पैसे गृह मंत्रालय द्वारा तय किए जाते हैं और NDRF की तैनाती की अवधि और उनकी संख्या के आधार पर यह राशि निर्धारित होती है।

सुरक्षा बलों के तैनाती के नियम

जब किसी राज्य में CAPF की तैनाती होती है, तो राज्य सरकार को उनकी तैनाती के लिए केंद्र सरकार को भुगतान करना होता है। कई स्थानों पर जैसे हवाई अड्डों पर, सुरक्षा बल हमेशा तैनात रहते हैं, और इसके लिए भी राज्य सरकारों को केंद्र को पैसा देना होता है। इसके अलावा, अगर किसी लॉ एंड ऑर्डर स्थिति में या अन्य आपातकालीन परिस्थितियों में सुरक्षा बलों की मदद ली जाती है, तो भी राज्य को इसके लिए भुगतान करना होता है।

कैसे तय होते हैं ये चार्ज?

सुरक्षा बलों की तैनाती के चार्ज कंपनी या बटालियन की संख्या और तैनाती की अवधि के आधार पर तय होते हैं। उदाहरण के लिए, यदि कोई कंपनी लंबे समय से तैनात है, तो इसके लिए एक निश्चित राशि निर्धारित होती है। वहीं, कुछ दिनों की तैनाती के लिए जवानों की संख्या और तैनाती के दिनों के आधार पर भुगतान तय होता है।

चार्ज की राशि कितनी होती है?

साल 2019 में इन चार्ज में बदलाव किया गया था। नए नियमों के अनुसार, सामान्य श्रेणी वाले राज्यों को हर साल 7 कंपनी बटालियन की तैनाती के लिए 13.7 करोड़ रुपये गृह मंत्रालय को देने होते हैं। इसमें ट्रांसपोर्ट और फोर्स के मूवमेंट का पैसा शामिल नहीं होता।

2020-21 के लिए यह राशि 15.40 करोड़, 2021-22 के लिए 17.36 करोड़, 2022-23 के लिए 19.65 करोड़, और 2023-24 के लिए 22.30 करोड़ रुपये हो चुकी है। हालांकि, कुछ राज्यों को इन चार्ज में छूट दी जाती है।

क्या राज्य सरकारें समय पर भुगतान करती हैं?

यह भी जानना महत्वपूर्ण है कि कई राज्य सरकारों ने अब तक केंद्र को भुगतान नहीं किया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, अक्तूबर 2021 तक गृह मंत्रालय को राज्यों से 63,156 करोड़ रुपये की राशि वसूलनी थी, जो कई राज्यों के बजट से भी अधिक है।

आपदा में निभाते हैं देवदूत की भूमिका

इन सबके बावजूद, CAPF और NDRF के जवान आपदा के समय देवदूत की भूमिका निभाते हैं। चाहे कितनी भी कठिन परिस्थिति हो, ये जवान अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हटते। राज्य सरकारों के लिए यह समझना जरूरी है कि इन बलों की तैनाती सिर्फ एक वित्तीय मुद्दा नहीं है, बल्कि जनता की सुरक्षा और राहत के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

इन बलों की तैनाती के पीछे सिर्फ धनराशि ही नहीं, बल्कि एक बड़ी जिम्मेदारी भी होती है। यह जिम्मेदारी केवल केंद्र सरकार की नहीं, बल्कि राज्य सरकारों की भी है, ताकि संकट के समय में लोगों की मदद की जा सके।

दोस्तो, अगर आप CAPF से संबंधित सभी ख़बरें पढ़ना चाहते हैं, तो Jawan Times का WHATSAPP CHANNEL जरूर फॉलो करें।

जवान टाइम्स

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.