SSB’s 34th Battalion Organizes Beekeeping Training: Empowering Rural Communities for Self-Reliance
34वीं वाहिनी, सशस्त्र सीमा बल द्वारा मधुमक्खी पालन प्रशिक्षण का आयोजन: ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनाने की पहल
अलीपुरद्वार, 19 जनवरी 2025 –
34वीं वाहिनी, सशस्त्र सीमा बल, अलीपुरद्वार द्वारा ‘नागरिक कल्याण कार्यक्रम-वर्ष 2024-25’ के तहत कार्यक्षेत्र के 30 ग्रामीणों के लिए मधुमक्खी पालन प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह प्रशिक्षण एफ-समवाय कालीखोला के सामुदायिक केंद्र में कमांडेंट श्री मनोज कुमार चंद के दिशानिर्देशन और उपस्थिति में दीप प्रज्वलित कर शुरू किया गया।
इस कार्यक्रम में स्थानीय समुदाय के प्रमुख लोग और अधिकारी उपस्थित रहे। कुमारग्राम टी गार्डन के मैनेजर श्री कुंतल गोगोई, संस्कार वेलफेयर अकादमी की संयोजक श्रीमती रिया रॉय, पंचायत सदस्य श्री नयन करकेटा और सामुदायिक केंद्र के अध्यक्ष श्री किरण क्षेत्री ने अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाई। 34वीं वाहिनी के असिस्टेंट कमांडेंट श्री मनीष कुमार, श्री के एम देव शर्मा और अन्य कार्मिक भी इस कार्यक्रम का हिस्सा बने।
कार्यक्रम की प्रमुख विशेषताएं
• अतिथियों का सम्मान: कार्यक्रम में अतिथियों का पारंपरिक खादा पहनाकर स्वागत किया गया।
• प्रशिक्षण का महत्व: प्रशिक्षण में ग्रामीणों को मधुमक्खी पालन से होने वाले आर्थिक और पर्यावरणीय लाभों के बारे में जानकारी दी गई।
• प्रेरणा का संचार: प्रतिभागियों को प्रशिक्षण को पूरी मेहनत और समर्पण के साथ पूरा करने हेतु प्रेरित किया गया।
मधुमक्खी पालन को रोजगार का एक महत्वपूर्ण साधन बताते हुए प्रशिक्षण के दौरान विशेषज्ञों ने बताया कि यह न केवल आय का स्थिर स्रोत बन सकता है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी सहायक है।
कार्यक्रम में उपस्थित संस्कार वेलफेयर अकादमी की संयोजक श्रीमती रिया रॉय ने कहा, “मधुमक्खी पालन ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का एक सशक्त माध्यम है। इससे ग्रामीणों को न केवल आय के नए साधन मिलेंगे, बल्कि वे आत्मनिर्भर भी बनेंगे।”
कमांडेंट श्री मनोज कुमार चंद ने कहा कि सशस्त्र सीमा बल सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा के साथ-साथ नागरिक कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने ग्रामीणों को इस प्रशिक्षण को गंभीरता से लेने और इसे अपने जीवन में लागू करने की अपील की।
कार्यक्रम का समापन सभी प्रशिक्षणार्थियों को शुभकामनाएं देते हुए हुआ। ग्रामीणों ने इस पहल की सराहना की और इसे आत्मनिर्भरता की दिशा में एक सकारात्मक कदम बताया।
यह आयोजन न केवल ग्रामीणों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने की दिशा में एक प्रयास है, बल्कि समुदाय और सशस्त्र सीमा बल के बीच संबंधों को भी और मजबूत करता है।
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