
एसएसबी ने भारत-नेपाल सीमा पर नाबालिग नेपाली बालक को सुरक्षित बचाया, मानव तस्करी की आशंका से रोका गया, NGO को सौंपा गया
पानीटंकी (सिलीगुड़ी), 06 अप्रैल 2025: भारत-नेपाल सीमा पर 41वीं वाहिनी सशस्त्र सीमा बल (SSB) रानीडांगा द्वारा एक अत्यंत सतर्क और मानवीय कार्रवाई करते हुए एक नाबालिग नेपाली बालक को बचाया गया। यह घटना 06 मार्च 2025 को शाम 5:00 बजे की है, जब ICP न्यू ब्रिज, पानीटंकी पर एसएसबी की बॉर्डर इंटरैक्शन टीम (BIT) द्वारा रूटीन चेकिंग की जा रही थी।
इस दौरान टीम को एक नाबालिग लड़का अकेले नेपाल की ओर जाते हुए संदिग्ध स्थिति में मिला। जब उससे पूछताछ की गई, तो वह न तो कोई वैध पहचान पत्र दिखा सका और न ही उसके साथ कोई अभिभावक मौजूद था। ऐसे मामलों में तस्करी की संभावना को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, इसलिए मामले की गंभीरता को देखते हुए AHTU (Anti Human Trafficking Unit) SHQ रानीडांगा को तत्काल सूचित किया गया।

नाबालिग ने अपनी पहचान सुजन नेपाली (उम्र 14 वर्ष), पिता का नाम खडका बहादुर, माता का नाम देवी, निवासी डोलखा, गौरीशंकर-04, नेपाल बताई। पूछताछ के दौरान उसने खुलासा किया कि वह नेपाल से भारत में अपनी बड़ी बहन इंदिरा के साथ गंगटोक, सिक्किम के चर्मेल इलाके में रह रहा था। लेकिन 06 मार्च की सुबह लगभग 9 बजे वह अपनी बहन को बिना बताए घर से निकल पड़ा और वापस नेपाल जाने की कोशिश कर रहा था।
सुजन के पास किसी भी प्रकार का वैध यात्रा दस्तावेज नहीं था और न ही कोई वयस्क उसका मार्गदर्शन कर रहा था। ऐसे में उसकी सुरक्षा पर प्रश्न खड़ा हो गया। एसएसबी के जवानों को इस बात की आशंका हुई कि वह किसी मानव तस्करी या शोषण के जाल में फँस सकता था।
बच्चे की भलाई और भविष्य की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कंपनी कमांडर द्वारा तत्काल नेपाल के APF (Armed Police Force) और NGO “अफांता” काकरविट्टा, नेपाल से संपर्क किया गया। दोनों एजेंसियों ने त्वरित प्रतिक्रिया देते हुए सहयोग प्रदान किया।
06 अप्रैल 2025 को शाम 6:30 बजे, नियमानुसार सभी दस्तावेज़ी कार्रवाई पूरी करने के बाद बालक को NGO अफांता काकरविट्टा को सौंप दिया गया। इस दौरान SI सीताराम आचार्य (APF नेपाल), AHTU टीम SHQ रानीडांगा एसएसबी के अधिकारी मौजूद रहे।
यह रेस्क्यू ऑपरेशन एसएसबी की सतर्कता, मानवीयता और सहयोग की भावना का प्रतीक है। यह घटना सीमा क्षेत्र में सक्रिय सुरक्षाबलों की सजगता को दर्शाती है जो न केवल देश की सीमाओं की रक्षा करते हैं, बल्कि समाज के कमजोर वर्गों — विशेष रूप से बच्चों — की सुरक्षा और संरक्षण में भी अग्रणी भूमिका निभाते हैं।
एसएसबी ने पुनः यह सिद्ध किया है कि वे केवल सीमा पर खड़े प्रहरी नहीं, बल्कि समाज के लिए संरक्षक भी हैं। इस सफल अभियान से यह भी स्पष्ट होता है कि सुरक्षा एजेंसियों और सामाजिक संगठनों के बीच समन्वय से मानव तस्करी जैसे गंभीर अपराधों को समय रहते रोका जा सकता है।
🔹 रिपोर्ट: जवान टाइम्स
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