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Health Crisis Among CAPF Personnel in Naxal Areas: 577 Deaths in 5 Years
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में CAPF कर्मियों की मौतों का चौंकाने वाला आंकड़ा
पिछले पांच वर्षों में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तैनात केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) के 577 कर्मियों की मौत हो गई है, और यह सभी मौतें बीमारियों या दिल के दौरे जैसी प्राकृतिक कारणों से हुई हैं। इस चौंकाने वाले आंकड़े को 6 अगस्त को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में प्रस्तुत किया।
इन मौतों में सबसे अधिक संख्या CRPF (सेंट्रल रिज़र्व पुलिस फ़ोर्स) के जवानों की रही, जिनकी संख्या 297 है। इसके बाद BSF (बॉर्डर सिक्योरिटी फ़ोर्स) के 108, CISF (सेंट्रल इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी फ़ोर्स) के 76, ITBP (इंडो-तिब्बतन बॉर्डर पुलिस) के 74 और SSB (सशस्त्र सीमा बल) के 22 जवानों की मौत हुई है।
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सालाना मौतों के आंकड़े
2019 से लेकर 2023 तक के सालाना आंकड़े कुछ इस प्रकार हैं:
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इन आंकड़ों से साफ जाहिर होता है कि नक्सल इलाकों में तैनात जवानों के लिए स्वास्थ्य एक गंभीर चिंता का विषय है। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों की कठिन परिस्थितियां, वहां का कठिन जीवन और पर्याप्त चिकित्सा सुविधाओं की कमी, इन जवानों की जानलेवा बीमारियों का कारण बन रही हैं।
नक्सल हिंसा में कमी, पर स्वास्थ्य बना चुनौती
हालांकि, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पिछले एक दशक में नक्सल हिंसा की घटनाओं में 73 प्रतिशत की कमी आई है, जो सरकार की नक्सल विरोधी रणनीतियों की सफलता का संकेत है। लेकिन, इस बीच इन क्षेत्रों में तैनात CAPF कर्मियों के स्वास्थ्य की चिंता बढ़ती जा रही है।
सरकार को चाहिए कि इन क्षेत्रों में तैनात जवानों के लिए बेहतर चिकित्सा सुविधाओं की व्यवस्था की जाए, ताकि वे न सिर्फ बाहरी खतरों से बल्कि अपने स्वास्थ्य से भी सुरक्षित रह सकें।
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