Digital Arrest Scams: How High-Profile Professionals Lost Crores – 5 Shocking Cases Revealed!
डिजिटल गिरफ्तारी का शिकार हुए IAS, IPS अधिकारी, मेजर जनरल, डॉक्टर और प्रोफेसर: करोड़ों की ठगी! जानें 5 सच्चे मामले
लखनऊ: डिजिटल युग में साइबर अपराधी अब डिजिटल गिरफ्तारी के जाल में फंसाकर उच्च पदस्थ अधिकारियों, डॉक्टरों और प्रोफेसरों को करोड़ों की ठगी का शिकार बना रहे हैं। हाल ही में लखनऊ के डॉ. रूबी थॉमस, जो डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में कार्यरत हैं, इस जालसाजी का शिकार बनीं, जहां उनसे पांच घंटे तक डिजिटल तरीके से पूछताछ कर ठगों ने 90,000 रुपये वसूल लिए।
डॉ. थॉमस ने बताया कि उन्हें व्हाट्सएप पर एक फर्जी गिरफ्तारी वारंट और पुलिस अधिकारी का आईडी कार्ड भेजा गया, जिसके बाद ठगों ने वीडियो कॉल के जरिए उनकी पहचान की पुष्टि की। उन पर नरेश गोयल घोटाले और एक शूटिंग घटना में शामिल होने का आरोप लगाया गया। डर और तनाव में उन्होंने ठगों को 90,000 रुपये ट्रांसफर कर दिए।
विश्वसनीय फर्जी पहचान पत्र और गिरफ्तारी वारंट
ठगों ने मुम्बई पुलिस के साइबर इंस्पेक्टर प्रदीप सावंत के नाम से एक फर्जी आईडी कार्ड और सीबीआई के नाम से एक गिरफ्तारी वारंट भेजा। इसमें कहा गया कि डॉ. थॉमस का आधार कार्ड नरेश गोयल घोटाले में इस्तेमाल हुआ है, जिसमें 247 फर्जी बैंक खातों का इस्तेमाल हुआ। उन्हें धमकी दी गई कि अगर उन्होंने सहयोग नहीं किया तो उन्हें फांसी की सजा हो सकती है।
अन्य प्रमुख मामले:
1. डॉ. रुचिका टंडन – न्यूरोलॉजिस्ट, पीजीआई लखनऊ:
डॉ. रुचिका से ठगों ने उनके बैंक खाते के अवैध लेन-देन के बहाने 2.81 करोड़ रुपये की ठगी की। उन्होंने उनके फोन और आधार को फर्जी खातों से जोड़ा और उन्हें डिजिटल या शारीरिक सत्यापन की धमकी दी।
2. मेजर जनरल एन.के. धीर (सेवानिवृत्त) – नोएडा:
मेजर जनरल धीर से ठगों ने DHFL कूरियर सेवा के नाम पर 2 करोड़ रुपये ठगे। उन्होंने बताया कि उनके नाम से मुम्बई से ताइवान भेजे गए पार्सल में पासपोर्ट, क्रेडिट कार्ड और ड्रग्स थे। ठगों ने ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने का बहाना बनाकर पैसे ऐंठे।
3. प्रोफेसर श्रीजाता डे – BITS पिलानी, राजस्थान:
प्रोफेसर डे से ठगों ने तीन महीने तक डिजिटल गिरफ्तारी के नाम पर 7.67 करोड़ रुपये की ठगी की। ठगों ने उन्हें TRAI अधिकारी बनकर धमकाया कि उनके मोबाइल नंबर पर कई शिकायतें आई हैं और उनका नंबर बंद किया जाएगा।
4. रिटायर्ड लेक्चरर – भोपाल:
भोपाल के एक रिटायर्ड लेक्चरर से कस्टम विभाग का अधिकारी बनकर ठगों ने 1.30 करोड़ रुपये की ठगी की। उन पर नकली पार्सल भेजने और बेनामी संपत्तियों का आरोप लगाया गया।
5. ए.पी. भटनागर (सेवानिवृत्त DGP) – पंजाब:
80 वर्षीय ए.पी. भटनागर से ठगों ने CBI अधिकारी बनकर 2.50 लाख रुपये ठग लिए। उन्हें मानव तस्करी और ड्रग्स रैकेट में शामिल होने का झूठा आरोप लगाकर डराया गया।
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ठगी का तरीका:
- भाषा और प्रोफेशनलिज़्म: ठग आमतौर पर अंग्रेजी में पेशेवर ढंग से बात करते हैं।
- फर्जी आईडी कार्ड: वीडियो कॉल में वे फर्जी आईडी कार्ड दिखाते हैं।
- सरकारी लोगो और पृष्ठभूमि: वीडियो कॉल में सरकारी एजेंसियों के लोगो और कार्यालय जैसी पृष्ठभूमि का उपयोग किया जाता है।
- नकली कोर्ट रूम: कई मामलों में फर्जी कोर्ट रूम सेटअप भी दिखाया जाता है।
- उच्च अधिकारियों की नकल: ठग अक्सर साइबर अपराध इकाइयों या अन्य सरकारी एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारियों के रूप में पेश आते हैं।
- कानूनी जानकारी का अभाव: पीड़ितों को यह नहीं पता होता कि भारत में कोई भी जांच या गिरफ्तारी ऑनलाइन नहीं की जा सकती।
सावधानी बरतें!
इन मामलों से यह स्पष्ट होता है कि जनता को इस प्रकार की ठगी से सतर्क रहना चाहिए। किसी भी अज्ञात कॉल या संदेश पर भरोसा न करें, विशेष रूप से उन पर जो खुद को सरकारी अधिकारी बताकर पैसे मांगते हैं। कोई भी कानूनी कार्रवाई डिजिटल माध्यम से नहीं की जा सकती है।
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