Rising Suicides in CAPF: Third Tragic Incident in Chhattisgarh in 10 Days
छत्तीसगढ़ में SSB जवान की आत्महत्या: 10 दिनों में तीन CAPF जवानों ने की खुदकुशी, बढ़ती आत्महत्याएं चिंता का विषय
जवान टाइम्स 04/09/2024: छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में स्थित कोसरोंडा कैंप से एक बार फिर दिल दहला देने वाली खबर आई है। SSB (सशस्त्र सीमा बल) के जवान राकेश कुमार (31) ने अपनी सर्विस राइफल से खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। घटना के बाद जवान के परिवार और साथियों के बीच शोक की लहर दौड़ गई है। राकेश मेरठ, उत्तर प्रदेश का निवासी था और SSB की 33वीं बटालियन में आरक्षक के रूप में तैनात था।
घटना का विवरण
ताड़की थाना क्षेत्र के कोसरोंडा कैंप में तैनात राकेश ने अपनी सर्विस राइफल से सिर में गोली मार ली। गोली की आवाज सुनकर साथी जवान मौके पर पहुंचे, जहां उन्होंने राकेश को खून से लथपथ पाया। तुरंत अफसरों को सूचना दी गई और शव को पोस्टमॉर्टम के लिए अंतागढ़ भेजा गया। कांकेर एसपी आईके एलेसेला ने बताया कि राकेश के परिवार को सूचना दे दी गई है।
10 दिनों में तीसरी आत्महत्या
राकेश की आत्महत्या छत्तीसगढ़ में पिछले 10 दिनों में तीसरी घटना है, जिसमें CAPF (केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल) के जवानों ने आत्महत्या की है। 27 अगस्त को दुर्ग में SSB के एक अन्य कॉन्स्टेबल मनोज कुमार (32) ने भी खुदकुशी की थी। वहीं, 26 अगस्त को दंतेवाड़ा में CRPF (केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल) के हेड कॉन्स्टेबल विपिन चंद्र ने AK-47 से आत्महत्या कर ली थी।
अर्धसैनिक बलों में बढ़ती आत्महत्याएं
अर्धसैनिक बलों में आत्महत्या के बढ़ते मामलों ने एक गंभीर चिंता पैदा कर दी है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस समस्या से निपटने के लिए अक्टूबर 2021 में एक टास्क फोर्स का गठन किया था। टास्क फोर्स की रिपोर्ट में बताया गया कि 80% आत्महत्याएं जवानों के छुट्टी से लौटने के बाद होती हैं, जो इस बात का संकेत है कि जवानों पर मानसिक और भावनात्मक दबाव कितना अधिक है।
तनाव और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने की जरूरत
अर्धसैनिक बलों में तनाव और दबाव से निपटने के लिए केंद्र सरकार और संबंधित बलों को सामूहिक रूप से ठोस कदम उठाने होंगे। जवानों के लिए तनाव प्रबंधन और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकता है। इसके साथ ही, उनके परिवारों को भी पर्याप्त समर्थन और सहायता प्रदान करनी होगी ताकि ऐसे दुखद हादसों को रोका जा सके।
यह घटनाएं इस बात का स्पष्ट संकेत हैं कि अर्धसैनिक बलों में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता बढ़ाने और जवानों के बीच खुलकर बात करने की जरूरत है, ताकि भविष्य में ऐसी दर्दनाक घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
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