ITBP की महिला जवान की लिंग परिवर्तन की मांग खारिज, CAPF ने बनाए सख्त नियम

ITBP की महिला जवान की लिंग परिवर्तन की मांग खारिज, CAPF ने बनाए सख्त नियम

नई दिल्ली | 26 फरवरी 2025: भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) की एक महिला जवान द्वारा लिंग परिवर्तन की अनुमति मांगने का मामला सुरक्षा बलों और प्रशासनिक तंत्र के लिए एक नई चुनौती बनकर सामने आया। यह मामला न केवल CAPF बलों के लिए अभूतपूर्व था, बल्कि इससे जुड़े प्रशासनिक, मनोवैज्ञानिक और व्यावहारिक पहलुओं को लेकर भी व्यापक चर्चा शुरू हो गई। हालांकि, केंद्रीय गृह मंत्रालय और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) के चिकित्सा विभाग ने इस मांग को अस्वीकार कर दिया और भविष्य में इस तरह के मामलों के लिए सख्त नियम लागू करने का निर्णय लिया है।

ITBP की एक महिला जवान ने लिंग परिवर्तन के लिए आधिकारिक अनुमति मांगी थी। लेकिन CAPF और सेंट्रल सिविल सर्विसेज (CCS) नियमावली में इस तरह के मामलों को लेकर कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं थे। चूंकि ITBP, केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन आता है, इसलिए यह मामला मंत्रालय को भेजा गया।

गृह मंत्रालय ने इस असाधारण मामले पर गंभीरता से विचार किया और अंतिम निर्णय लेने की जिम्मेदारी CAPF के अपर महानिदेशक (चिकित्सा) को सौंप दी। उन्होंने इस मामले का गहन विश्लेषण किया और अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया कि फोर्स के भीतर लिंग परिवर्तन को अनुमति देना प्रशासनिक और व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है।

गृह मंत्रालय और CAPF के चिकित्सा विशेषज्ञों ने इस मामले को कई दृष्टिकोणों से परखा और कुछ मुख्य कारणों के आधार पर इस अनुरोध को खारिज कर दिया।

1. प्रशासनिक और अनुशासनात्मक चुनौतियां

CAPF का ढांचा अनुशासन और एकरूपता पर आधारित है। पुरुष और महिला कर्मियों के लिए अलग-अलग प्रशिक्षण, वर्दी, शारीरिक दक्षता मानक और कार्य नीतियां निर्धारित हैं। अगर किसी कर्मी को लिंग परिवर्तन की अनुमति दी जाती है, तो इससे प्रशासनिक स्तर पर कई जटिलताएं पैदा हो सकती हैं।

2. भर्ती मानकों में अंतर

CAPF में पुरुष और महिला कर्मियों के भर्ती मानकों में अंतर होता है। अगर कोई महिला कर्मी लिंग परिवर्तन के बाद पुरुष श्रेणी में आती है, तो उसके लिए अलग तरह की शारीरिक फिटनेस आवश्यक होगी। ऐसे में यह सवाल खड़ा होता है कि क्या वह नए मानकों को पूरा कर पाएगी या नहीं।

3. मनोवैज्ञानिक और सामाजिक प्रभाव

फोर्स में टीम वर्क और आपसी समन्वय बेहद जरूरी होता है। चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि लिंग परिवर्तन जैसे बड़े फैसले से संबंधित कर्मी और उसके सहकर्मियों पर मानसिक प्रभाव पड़ सकता है, जिससे ऑपरेशनल कार्यों में बाधा आ सकती है।

4. कानूनी और नीति संबंधी अस्पष्टता

फिलहाल, CAPF और गृह मंत्रालय के पास लिंग परिवर्तन से जुड़े मामलों के लिए कोई स्पष्ट नीति नहीं है। ऐसे में इस अनुरोध को स्वीकार करना भविष्य में अन्य जटिल कानूनी और नीति-निर्माण की समस्याओं को जन्म दे सकता है।

भविष्य के लिए बनाए गए सख्त नियम

इस मामले को देखते हुए CAPF ने भविष्य में इस तरह के अनुरोधों से निपटने के लिए सख्त नियम लागू करने का फैसला किया है।

1. सभी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में लिंग परिवर्तन की अनुमति नहीं दी जाएगी।

2. अगर कोई कर्मी लिंग परिवर्तन की अनुमति मांगता है, तो उसके अनुरोध को स्वतः खारिज कर दिया जाएगा।

3. इस फैसले के पीछे प्रशासनिक, कानूनी और चिकित्सा कारणों का हवाला दिया जाएगा।

सूत्रों के अनुसार, गृह मंत्रालय इस मामले को लेकर एक विस्तृत नीति बनाने पर विचार कर रहा है, जिससे भविष्य में इस तरह के मामलों से निपटने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश तैयार किए जा सकें।

कई रक्षा और प्रशासनिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला फोर्स की स्थिरता बनाए रखने के लिए आवश्यक था। लिंग परिवर्तन एक व्यक्तिगत निर्णय हो सकता है, लेकिन फोर्स के भीतर इसे लागू करना जटिल हो सकता है।

वहीं, कुछ मानवाधिकार संगठनों ने इस फैसले पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि सरकारी संस्थानों को समय के साथ बदलते सामाजिक और कानूनी ढांचे को स्वीकार करना चाहिए। ऐसे मामलों में किसी स्पष्ट नीति का अभाव कई कर्मियों के अधिकारों को प्रभावित कर सकता है।

भारत में सरकारी नौकरियों और सुरक्षा बलों में लिंग परिवर्तन से जुड़े मामलों पर ज्यादा चर्चा नहीं हुई है। यह मामला पहली बार CAPF के सामने आया, जिससे प्रशासन को इस पर ठोस निर्णय लेना पड़ा।

ITBP की महिला जवान की लिंग परिवर्तन की मांग खारिज, CAPF ने बनाए सख्त नियम

हालांकि, यह मामला सिर्फ ITBP तक सीमित नहीं है। आने वाले वर्षों में, अन्य सुरक्षा बलों और सरकारी संस्थानों को भी इस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए यह जरूरी है कि सरकार इस विषय पर एक व्यापक नीति बनाए, ताकि किसी भी कर्मी के व्यक्तिगत अधिकार और संगठन की जरूरतों के बीच संतुलन बना रहे।

(डिस्क्लेमर: यह खबर विभिन्न स्रोतों से प्राप्त जानकारी पर आधारित है। CAPF या गृह मंत्रालय की ओर से अभी तक इस पर कोई आधिकारिक विस्तृत नीति जारी नहीं की गई है।)

🔹 रिपोर्ट: जवान टाइम्स

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जवान टाइम्स

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