High Court Overturns CRPF Cook’s Dismissal After 219-Day Absence | हाई कोर्ट ने CRPF द्वारा बर्खास्त किए गए रसोइए के पक्ष में दिया निर्णय, 219 दिन बिना बताए गायब रहने पर मिला न्याय

High Court Overturns CRPF Cook's Dismissal After 219-Day Absence

High Court Overturns CRPF Cook’s Dismissal After 219-Day Absence

हाई कोर्ट ने CRPF द्वारा बर्खास्त किए गए रसोइए के पक्ष में दिया निर्णय, 219 दिन बिना बताए गायब रहने पर मिला न्याय

ग्वालियर: वर्ष 2009 से जुड़े एक अहम मामले में हाई कोर्ट ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) द्वारा बिना अनुमति 219 दिन तक नौकरी से अनुपस्थित रहने पर बर्खास्त किए गए रसोइए आशीष राजौरिया के पक्ष में फैसला सुनाया है। ग्वालियर हाई कोर्ट ने सीआरपीएफ के उस आदेश को निरस्त कर दिया है, जिसमें आशीष को भगोड़ा घोषित कर सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। अब इस मामले की फिर से सुनवाई की जाएगी ताकि आशीष को अपना पक्ष रखने का उचित मौका मिल सके।

मामले का पूरा विवरण

आशीष राजौरिया, जो कि सीआरपीएफ की 75वीं बटालियन में रसोइए के पद पर कार्यरत थे, ने जुलाई 2008 में अपनी पत्नी की गंभीर तबीयत के चलते दस दिन का अवकाश लिया था। छुट्टी के बाद वह नौकरी पर वापस लौटे, लेकिन कुछ समय बाद फिर से उनकी पत्नी की तबीयत बिगड़ गई। इस बार, आशीष ने अधिकारियों से पुनः छुट्टी की मांग की, परंतु उनकी छुट्टी को मंजूर नहीं किया गया। इसके बावजूद, पत्नी की हालत अत्यधिक खराब होने पर वह 28 अक्टूबर 2008 को बिना अनुमति के घर के लिए रवाना हो गए और जब अप्रैल 2009 में पत्नी की हालत में सुधार हुआ, तो आशीष वापस ड्यूटी पर लौटे।

जब आशीष नौकरी पर पहुंचे, तो उन्हें पता चला कि सीआरपीएफ ने उन्हें नौकरी से निकाल दिया है और भगोड़ा घोषित कर दिया गया है। इसके बाद, आशीष ने इस फैसले के खिलाफ ट्रिब्यूनल में अपील की, लेकिन वहां से कोई राहत नहीं मिली। अंततः, वर्ष 2011 में उन्होंने ग्वालियर हाई कोर्ट में याचिका दायर की।

हाई कोर्ट का फैसला

हाई कोर्ट ने सीआरपीएफ एक्ट 1949 के सेक्शन 11 का हवाला देते हुए कहा कि इस कानून के अंतर्गत कमांडेंट को छोटे दंड देने का अधिकार है, परंतु आशीष को बर्खास्त करना एक कड़ा और अनुचित फैसला था। कोर्ट ने कहा कि बिना सुनवाई का अवसर दिए आशीष को नौकरी से निकालना न्यायसंगत नहीं है। कोर्ट ने बर्खास्तगी के आदेश को निरस्त कर सक्षम प्राधिकारी को फिर से मामले की सुनवाई का निर्देश दिया, जिससे आशीष को भी अपना पक्ष रखने का अवसर मिल सके।

आगे की कार्रवाई

इस फैसले से आशीष को न्याय मिला है, लेकिन अब सीआरपीएफ को इस मामले पर दोबारा विचार करना होगा। अदालत के इस निर्णय से यह स्पष्ट हो गया है कि सरकारी सेवाओं में अनुशासन बनाए रखना आवश्यक है, लेकिन न्याय और सुनवाई का अधिकार भी उतना ही महत्वपूर्ण है।

यह मामला सरकारी संस्थानों में अनुशासन और न्याय के संतुलन की जरूरत को दर्शाता है, जिससे भविष्य में ऐसे मामलों में न्यायिक प्रक्रिया को ध्यान में रखकर निर्णय लिए जाएं।

दोस्तो, अगर आप CAPF से संबंधित सभी ख़बरें पढ़ना चाहते हैं, तो Jawan Times का WHATSAPP CHANNEL जरूर फॉलो करें।

जवान टाइम्स

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.