Digital Arrest Scam: Retired Major General Defrauded of ₹2 Crore in Cyber Heist | डिजिटल अरेस्ट: साइबर अपराधियों की नई चाल, रिटायर्ड मेजर जनरल से ठगी का मामला

Digital Arrest Scam: Retired Major General Defrauded of ₹2 Crore in Cyber Heist

Digital Arrest Scam: Retired Major General Defrauded of ₹2 Crore in Cyber Heist

डिजिटल अरेस्ट: साइबर अपराधियों की नई चाल, रिटायर्ड मेजर जनरल से ठगी का मामला

नोएडा में हाल ही में एक और साइबर ठगी का मामला सामने आया है, जिसमें भारतीय सेना के एक रिटायर्ड मेजर जनरल एन.के. धीर को साइबर अपराधियों ने दो करोड़ रुपये की ठगी का शिकार बनाया। इस बार ठगों ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ नाम का नया तरीका अपनाया और अधिकारियों की नकली पहचान का सहारा लिया।

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कैसे हुआ पूरा मामला?

10 अगस्त 2024 को रिटायर्ड मेजर जनरल एन.के. धीर के पास एक फोन आया जिसमें कॉलर ने खुद को एक प्रमुख कूरियर कंपनी (डीएचएल) का प्रतिनिधि बताया। उसने कहा कि उनके नाम से मुंबई से ताइवान के लिए एक संदिग्ध पार्सल आया है जिसमें पासपोर्ट, क्रेडिट कार्ड, कपड़े, ड्रग्स और अन्य अवैध सामग्रियाँ शामिल हैं। कॉलर ने यह भी दावा किया कि धीर का आधार कार्ड हैक हो चुका है और उन्हें मुंबई पुलिस में ऑनलाइन शिकायत दर्ज करनी चाहिए।

इसके बाद कॉलर ने उन्हें एक अन्य शख्स से जोड़ा, जिसने खुद को नारकोटिक्स डिपार्टमेंट का अधिकारी बताया। व्हाट्सएप पर आईकार्ड की फोटो भेजी गई और यह दिखाने की कोशिश की गई कि उन्हें डिजिटल तरीके से गिरफ्तार किया गया है। यह सब एक सोची-समझी साजिश थी ताकि धीर को डराकर उनसे पैसे ऐंठे जा सकें। उन्हें यह भी कहा गया कि वे किसी से भी इस बारे में बात न करें।

कैसे हुई दो करोड़ रुपये की ठगी?

साइबर ठगों ने धीर से उनके वित्तीय विवरण मांगे और दावा किया कि उनकी सुरक्षा के लिए उनके म्यूच्यूअल फंड और फिक्स्ड डिपॉजिट को एक सुरक्षित खाते में ट्रांसफर करना जरूरी है। उन्होंने धीर को डिजिटल अरेस्ट में रखते हुए घर से बाहर जाने और बैंक में पैसे ट्रांसफर करने के लिए मजबूर किया। ठगों ने धीर को यकीन दिलाया कि यह सरकारी जांच का हिस्सा है और पैसा जल्द ही वापस कर दिया जाएगा। इस तरह धीर ने दो करोड़ रुपये एक फर्जी खाते में ट्रांसफर कर दिए, जिसका नाम “ड्रीम होम हाउसिंग एंड प्रॉपर्टीज” था।

क्या है ‘डिजिटल अरेस्ट’ का सच?

नोएडा पुलिस के अनुसार, साइबर अपराधियों ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ की आड़ में एक नया जाल बिछाया है। लोगों को धमकाने और उनके पैसे ठगने के लिए वे सरकारी अधिकारियों की नकली पहचान का उपयोग कर रहे हैं। नोएडा साइबर क्राइम एसीपी विवेक रंजन राय ने बताया कि कोई भी जांच एजेंसी डिजिटल अरेस्ट जैसी प्रक्रिया नहीं अपनाती है। यह सिर्फ साइबर अपराधियों की एक चाल है।

साइबर अपराध से बचने के उपाय

साइबर अपराध की बढ़ती घटनाओं से बचने के लिए लोगों को जागरूक होना बेहद जरूरी है। अगर आपको किसी प्रकार का फोन कॉल आता है जिसमें आपकी निजी जानकारी मांगी जाती है या आपको डिजिटल गिरफ्तारी की धमकी दी जाती है, तो तुरंत सतर्क हो जाएं और अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन से संपर्क करें।

  • किसी भी अनजान कॉल या मैसेज का तुरंत जवाब न दें।
  • किसी भी अनधिकृत व्यक्ति को अपने वित्तीय या व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें।
  • साइबर क्राइम की शिकायतें तुरंत दर्ज करवाएं और सतर्क रहें।

डिजिटल अरेस्ट जैसी नई ठगी की तकनीकें हमारे समाज में तेजी से पांव पसार रही हैं। यह घटना एक चेतावनी है कि हमें साइबर अपराधों के प्रति जागरूक और सतर्क रहना होगा, ताकि हम इन ठगों के जाल में न फंसें। जागरूकता ही इसका सबसे बड़ा समाधान है।


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जवान टाइम्स

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