भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर) शिमला जंगली सेब से तैयार पूसा एप्पल रूट स्टॉक 101 और पूसा अखरोट बागवानों को उपलब्ध करवाएगा।
हिमाचल-उत्तराखंड के बागवानों को अब सेब और अखरोट के उन्नत किस्म के पौधों के लिए विदेशों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर) शिमला जंगली सेब से तैयार पूसा एप्पल रूट स्टॉक 101 और पूसा अखरोट बागवानों को उपलब्ध करवाएगा। प्रौद्योगिकी का व्यावसायिकरण योजना के तहत इन किस्मों के मदर प्लांट आईसीएआर के पास पंजीकृत नर्सरियों (फार्म) को दिए जाएंगे। अब तक आईसीएआर के पास पांच फार्म पंजीकृत हो चुकी हैं, इनमें 4 हिमाचल और एक उत्तराखंड की हैं। नर्सरियां पौधों की संख्या बढ़ाएंगी और बागवानों को देंगी। मदर प्लांट के एवज में आईसीएआर को रॉयल्टी मिलेगी, इसका इस्तेमाल नई किस्में ईजाद करने पर होगा।
वूली एफिड, रूट रॉट, पाउडरी मिल्ड्यू के प्रति रोग रोधी किस्म
पूसा एप्पल रूट स्टॉक 101 की खासियत है कि यह किसी भी ऊंचाई के बगीचे में लगाया जा सकता है और यह वूली एफिड, रूट रॉट और पाउडरी मिल्ड्यू रोगों के प्रति रोग रोधी क्षमता रखता है। पूसा एप्पल रूट स्टॉक पर सेब की कोई भी किस्म ग्राफ्ट की जा सकती है। इसका पौधा बढ़ने के बाद मध्यम आकार लेता है।
दो साल में फल देगी अखरोट की नई किस्म
योजना के तहत बागवानों को पूसा अखरोट के पौधे भी उपलब्ध करवाए जाएंगे। अखरोट की यह किस्म दो साल में फल देना शुरू कर देती है। हल्के सफेद रंग की गिरी के चलते अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी बहुत अधिक मांग है।
फार्मों को पंजीकृत कर उपलब्ध करवाएंगे पौधे
प्रौद्योगिकी का व्यावसायिकरण योजना के तहत पहली बार निजी फार्मों को आईसीएआर के साथ पंजीकृत किया जा रहा है। पंजीकृत फार्मों को पूसा एप्पल रूट स्टॉक 101 और पूसा अखरोट के मदर प्लांट उपलब्ध करवाए जाएंगे। फार्म संचालक संख्या बढ़ाकर पौधे बागवानों को उपलब्ध करवाएंगे। अब तक 5 फार्म आईसीएआर के पास पंजीकृत हो चुकी हैं।- कल्लोल प्रमाणिक, प्रधान वैज्ञानिक आईसीएआर शिमला