How SIP Calling Is Powering International Cyber Scams in India – Stay Alert! | SIP कॉलिंग से हो रहे हैं अंतरराष्ट्रीय साइबर फ्रॉड – जानें कैसे बचें

How SIP Calling Is Powering International Cyber Scams in India – Stay Alert!

🛡 आज का साइबर सुरक्षा विचार: SIP कॉलिंग – साइबर अपराधियों का नया हथियार!

“SIP कॉलिंग” आजकल विदेशों में बैठे साइबर ठगों का सबसे पसंदीदा हथियार बन गया है — और इसकी वजहें आपको चौंका देंगी!

SIP कॉलिंग क्या है?

SIP यानी Session Initiation Protocol, एक ऐसा सिग्नलिंग प्रोटोकॉल है जो इंटरनेट के जरिए कॉलिंग को मुमकिन बनाता है, जिसे हम VoIP (Voice over Internet Protocol) कहते हैं।

इससे कॉल्स सीधे इंटरनेट से की जाती हैं — बिना किसी परंपरागत मोबाइल नेटवर्क के। न तो SIM की ज़रूरत, न ही टॉवर की — बस इंटरनेट चाहिए और काम शुरू!

साइबर अपराधियों को SIP कॉलिंग क्यों पसंद है?

Caller ID Spoofing

असली नंबर को छुपाकर भारतीय मोबाइल या लैंडलाइन नंबर दिखाया जाता है — कॉल एकदम “लोकल” लगती है।

सस्ते और स्केलेबल कॉल्स

इंटरनेट कॉलिंग बेहद सस्ती है — इससे हजारों लोगों को एक साथ टारगेट करना आसान होता है।

कहीं से भी ऑपरेट करें

SIP टर्मिनल को थाईलैंड, कनाडा, या कंबोडिया से भी चलाया जा सकता है — और लगता है जैसे भारत से कॉल आ रही हो।

जब नंबर लोकल लगता है और कॉलर CBI, TRAI या बैंक अफसर बनकर बोले — तो लोग डरकर फंस जाते हैं।

असली उदाहरण: डिजिटल अरेस्ट स्कैम

2 लाख से ज्यादा फर्जी कॉल्स SIP नंबरों से की गईं। कॉल में धमकी दी गई कि आप पर केस है, तुरंत पैसे ट्रांसफर करें वरना गिरफ्तारी होगी! जियो, टाटा टेली जैसी कंपनियों से धोखे से SIP सेवाएं ली गईं। कॉल्स को रेंटेड SIP सर्वरों से घुमाया गया, जिससे लोकेशन ट्रेस करना मुश्किल हो गया।

सरकार क्या कर रही है?

DoT (Department of Telecommunications) ने ऐसे सिस्टम तैनात किए हैं जो भारतीय नंबर की नकल करने वाली इंटरनेशनल कॉल्स को ब्लॉक कर रहे हैं। पुलिस और साइबर सेल SIP के दुरुपयोग पर कार्रवाई कर रहे हैं — लेकिन इसकी तकनीकी लचीलापन इसे रोकना कठिन बना देता है।

SIP टेक्नोलॉजी की असली ताकत — और खतरा

SIP टेक्नोलॉजी जितनी शानदार है, उतनी ही खतरनाक भी बन सकती है अगर गलत हाथों में चली जाए।

SIP की लचीलापन (Flexibility):

डिवाइस-फ्रीडम: मोबाइल ऐप, ब्राउज़र, डेस्क फोन या लैपटॉप — SIP हर जगह चलता है। लोकेशन फ्रीडम: दुनिया में कहीं से भी कॉल किया जा सकता है — बस इंटरनेट हो। मल्टी-मोड: सिर्फ वॉयस नहीं, वीडियो, मैसेजिंग, कॉन्फ्रेंसिंग भी एक ही प्रोटोकॉल में। स्केलेबल: बिना वायरिंग या हार्डवेयर बदले, नई लाइनें जोड़ना बेहद आसान। कस्टम रूटिंग: कॉल्स को दुनिया के किसी भी सर्वर से घुमाया जा सकता है — असली लोकेशन छुप जाती है।

SIP से कॉलर ID बदलना आसान — विदेशी कॉल भी लोकल लगती है।

तेज़ सेटअप

क्लाउड PBX से कुछ घंटों में SIP लाइनें बन जाती हैं।

लोकेशन छुपाना आसान

SIP सर्वर की लेयरिंग से असली स्रोत छुप जाता है — जांच करना मुश्किल हो जाता है।

सतर्क रहें, सुरक्षित रहें

“आपकी जागरूकता ही आपकी सबसे मजबूत फायरवॉल है।”

हर बार जब कोई अनजान कॉल आए, खासकर अगर वह CBI, पुलिस, बैंक अधिकारी या सरकारी विभाग का दावा करे — संभल जाएं। SIP कॉलिंग से होने वाला धोखा अब एक सामान्य साइबर हथकंडा बन चुका है।

यह लेख शेयर करें और दूसरों को भी जागरूक बनाएं — क्योंकि साइबर सुरक्षा अब सिर्फ एक तकनीकी मामला नहीं, बल्कि हर नागरिक की जिम्मेदारी है।

🔹 रिपोर्ट: जवान टाइम्स

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जवान टाइम्स

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