Himachal CAG Report : हिमाचल प्रदेश में पेंशन, उपदान और कर्ज से 1,368 करोड़ बढ़ा राजस्व घाटा
प्रदेश की आर्थिक स्थिति की जांच और विश्लेषण में निहित जानकारी के अनुसार, हिमाचल प्रदेश में राजस्व घाटा 6,072.94 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जो कि बजट अनुमान से 1,368.81 करोड़ रुपये अधिक है। इस राजस्व घाटे के अधिक होने का मुख्य कारण पेंशन, उपदान, और कर्ज लेने से हो रहा है। इसके अलावा, भानुपल्ली-बिलासपुर रेल लाइन, सड़कों और पुलों, ग्रामीण जलापूर्ति योजनाओं, पुलिस स्टेशनों, मिनी सचिवालयों, और अन्य कई महत्त्वपूर्ण परियोजनाओं के विकास के लिए भी अधिक पूंजीगत व्यय हुआ है।
इस समस्या को हल करने के लिए कुछ सुझाव दिए गए हैं। सरकार को दिए गए ऋण के विकासात्मक कार्यों में उपयोग करना होगा ताकि सामाजिक और आर्थिक विकास हो सके। वित्तीय संसाधनों की वृद्धि के लिए बाहरी वित्त पोषित परियोजनाओं से मदद लेनी चाहिए। भारत सरकार से उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करने के लिए विभिन्न विकासात्मक कार्यक्रमों और योजनाओं का लाभ उठाना चाहिए। इसके साथ ही, राज्य की कर एवं गैर कर प्राप्तियों में बढ़ोतरी के लिए कोशिश की जानी चाहिए।
पेंशन, उपदान और कर्ज लेने के कारण राजस्व व्यय में वृद्धि हो रही है, जिसे महालेखाकार कार्यालय ने संक्षेपित करने का सुझाव दिया है। मुख्यमंत्री ने विधानसभा में वर्ष 2022-23 की महालेखा परीक्षक रिपोर्ट पेश की है, जिसमें राजस्व घाटा की विस्तृत जानकारी दी गई है। इससे सामान्य आर्थिक वातावरण और नीतिगत परिवर्तनों से विचलित होने की जानकारी मिलती है, जिससे राज्य की आर्थिक स्थिति पर असर पड़ता है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि जुलाई-अगस्त में हुई बाढ़, भूस्खलन ने मौलिक संरचनाओं को नुकसान पहुंचाया है, जिससे राजस्व में कमी हुई है। इससे व्यावसायिक स्थिति प्रभावित हो रही है और साथ ही विकास के
लक्ष्यों को प्राप्त करने में समय लगेगा। रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के राजस्व में वस्तु एवं सेवा करों में और जल उपकरों से प्राप्तियों में कमी के कारण और 752.33 करोड़ रुपये की कमी संभावित है।
पेंशन के व्यय में भी 621.22 करोड़ की बढ़ोतरी संभावित है, जो पेंशन और सेवानिवृत्ति लाभों की वजह से हुई है। अन्य राजस्व व्यय में भी 762.57 करोड़ की बढ़ोतरी हुई है, जो उपदान और सहायता अनुदानों के वृद्धि के कारण हुई है।
इस प्रकार, हिमाचल प्रदेश की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए सरकार को विशेष उपायों की जरूरत है, ताकि आने वाले समय में प्रदेश की विकासात्मक योजनाओं को सही रूप से अंजाम दिया जा सके।
ये दिए गए सुझाव
-सरकार द्वारा स्वीकृत ऋण का विकासात्मक कार्यों में उपयोग सुनिश्चित करना होगा।
-बाहरी वित्त पोषित परियोजनाओं के माध्यम से वित्तीय संसाधनों के लिए मदद लेनी होगी।
-विभिन्न विकासात्मक कार्यक्रमों और योजनाओं के वित्त पोषण के लिए भारत सरकार से उपलब्ध संसाधनों का लाभ उठाना होगा।
-राज्य की कर एवं गैर कर प्राप्तियों में बढ़ोतरी का प्रयास करना होगा।हिमाचल प्रदेश में पेंशन, उपदान और ऋण लेने के कारण राजस्व व्यय बढ़ रहा है। महालेखाकार कार्यालय ने राज्य सरकार को सभी अनुत्पादक व्ययों में कटौती का सुझाव दिया है। शनिवार को शीत सत्र के अंतिम दिन मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने विधानसभा सदन में वर्ष 2022-23 की महालेखा परीक्षक रिपोर्ट पेश की।रिपोर्ट में सामान्य आर्थिक वातावरण और नीतिगत परिवर्तनों से विचलन संबंधी विवरण देते हुए बताया कि नवीनतम बजट प्राक्कलन के अनुसार राजस्व घाटा 6,072.94 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है जो कि बजट अनुमान से 1,368.81 करोड़ रुपये अधिक है। राजकोषीय घाटा 9,900.14 करोड़ के बजट अनुमान की तुलना में 12,515.73 करोड़ रहने का अनुमान है। इस प्रकार राजकोषीय घाटा सकल राज्य घरेलू उत्पाद की प्रतिशतता के रूप में 5.82 फीसदी रहने का अनुमान है।रिपोर्ट में बताया कि जुलाई-अगस्त में बाढ़, भूस्खलन ने बुनियादी ढांचे को क्षतिग्रस्त किया है। इससे राजस्व भी प्रभावित हुआ है। ऐसे में राज्य की अर्थव्यवस्था के साथ बुनियादी ढांचे को बहाल करने में समय लगेगा। रिपोर्ट के अनुसार राज्य वस्तु एवं सेवाकर तथा जल उपकर से प्राप्तियों में कमी के कारण राजस्व में 752.33 करोड़ रुपये की कमी संभावित है। Himachal CAG Report
राजस्व व्यय के तहत पेंशन के व्यय में 621.22 करोड़ की बढ़ोतरी संभावित है जो पेंशन, सेवानिवृत्ति लाभ के सरकार के आदेशानुसार कुछ बकाया राशि की अदायगी के कारण है। अन्य राजस्व व्यय में 762.57 करोड़ की बढ़ोतरी उपदान और सहायता अनुदान आदि पर अधिक व्यय के कारण है।- jawantimes.com