Cybercrime Alert: New Scam Targets Pensioners with Fake Life Certificate Requests
जवान टाइम्स, साइबर क्राइम सेल हजरतगंज पुलिस कमीशनरेट लखनऊ ने हाल ही में पेंशन धारकों को एक महत्वपूर्ण चेतावनी जारी की है। साइबर अपराधियों ने पेंशन धारकों को ठगने का एक नया तरीका खोजा है। आजकल, इन अपराधियों द्वारा पेंशन धारकों को ‘जीवन प्रमाण पत्र’ ऑनलाइन अपडेट करने के लिए कॉल किया जा रहा है। ये कॉल्स पेंशन धारकों के लिए बेहद खतरनाक हैं क्योंकि अपराधियों के पास पेंशन धारकों का पूरा डेटा होता है। आइए इस नई ठगी के तरीके को विस्तार से समझें।
साइबर अपराधियों का नया तरीका
साइबर अपराधियों ने पेंशन धारकों को ठगने के लिए एक नया तरीका इजाद किया है। ये अपराधी ‘जीवन प्रमाण पत्र’ के नाम पर पेंशन धारकों को कॉल करते हैं और उन्हें यह विश्वास दिलाते हैं कि वे पेंशन निदेशालय से हैं। इस प्रकार की ठगी हाल के दिनों में तेजी से बढ़ी है, और पेंशन धारक इसके प्रमुख लक्ष्य बन रहे हैं।
जीवन प्रमाण पत्र के नाम पर ठगी
इन कॉल्स के दौरान, साइबर अपराधी पेंशन धारकों को बताते हैं कि उन्हें अपना जीवन प्रमाण पत्र ऑनलाइन अपडेट करना है। यह तरीका इसलिए सफल होता है क्योंकि अपराधियों के पास पेंशन धारकों का पूरा डेटा होता है। वे नियुक्ति का दिनांक, सेवानिवृत्ति का दिनांक, पीपीओ नंबर (पेंशनभोगी भुगतान आदेश संख्या), आधार कार्ड संख्या, स्थायी पता, ईमेल आईडी, सेवानिवृत्ति पर प्राप्त राशि, मासिक पेंशन, नॉमिनी आदि सभी जानकारी का उपयोग करते हैं।
क्यों पेंशन धारक निशाना बन रहे हैं
पेंशन धारक अक्सर उम्रदराज और तकनीकी रूप से उतने सक्षम नहीं होते हैं, जिससे वे साइबर अपराधियों के आसान शिकार बन जाते हैं। इनके पास नियमित आय होती है, जो अपराधियों को आकर्षित करती है। साथ ही, उन्हें भरोसेमंद डेटा के माध्यम से ठगना आसान होता है। |
आधार कार्ड, पीपीओ नंबर, और अन्य डेटा
साइबर अपराधी पेंशन धारकों के पूरे डेटा को इकट्ठा कर लेते हैं। इनमें आधार कार्ड, पीपीओ नंबर, स्थायी पता, ईमेल आईडी, सेवानिवृत्ति पर प्राप्त राशि, मासिक पेंशन, और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी शामिल होती है। इस डेटा के आधार पर, वे पेंशन धारकों को कॉल करते हैं और उन्हें यकीन दिलाते हैं कि वे पेंशन निदेशालय से हैं।
कैसे पेंशन धारकों को ठगते हैं
जब अपराधी पेंशन धारकों को कॉल करते हैं, तो वे पूरी जानकारी के साथ आते हैं। यह पेंशन धारकों को भरोसा दिलाता है कि कॉल असली है। इसके बाद, वे पेंशन धारकों से ‘जीवन प्रमाण पत्र’ अपडेट करने के लिए ओटीपी साझा करने को कहते हैं। एक बार जब पेंशन धारक फोन पर ओटीपी साझा कर देते हैं, तो साइबर अपराधियों को उनके बैंक खाते का डायरेक्ट एक्सेस मिल जाता है। यह सीधा नियंत्रण उन्हें खाते से राशि निकालने की अनुमति देता है।
ओटीपी साझा करने का खतरा
ओटीपी, यानी ‘वन टाइम पासवर्ड’, सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण उपाय है। यदि कोई इसे साझा करता है, तो वह सीधा साइबर अपराधियों को अपने बैंक खाते तक पहुंचने की अनुमति देता है। पेंशन धारक अक्सर इस खतरे से अनजान होते हैं और ओटीपी साझा कर देते हैं, जिससे उनका बैंक खाता साइबर अपराधियों के नियंत्रण में आ जाता है। इस कारण से, ओटीपी को कभी भी साझा नहीं करना चाहिए।
बैंक खाते के डायरेक्ट एक्सेस का जोखिम
जब साइबर अपराधियों को पेंशन धारकों के बैंक खाते का डायरेक्ट एक्सेस मिल जाता है, तो वे आसानी से उनके खाते से राशि निकाल सकते हैं। यह राशि आमतौर पर फर्जी बैंक खातों या वॉलेट्स में ट्रांसफर की जाती है। एक बार ऐसा हो जाने के बाद, इसे वापस पाना लगभग असंभव होता है। इसलिए, ओटीपी को कभी भी साझा नहीं करना चाहिए।
फर्जी बैंक खातों में स्थानांतरण
जब साइबर अपराधियों को पेंशन धारकों के बैंक खाते का डायरेक्ट एक्सेस मिल जाता है, तो वे राशि को फर्जी बैंक खातों में स्थानांतरित कर देते हैं। इन फर्जी खातों को ट्रैक करना कठिन होता है, जिससे चोरी की गई राशि को वापस पाना लगभग असंभव हो जाता है। यह साइबर अपराध का एक आम तरीका बन गया है, और पेंशन धारकों को इससे बचना चाहिए।
पेंशन निदेशालय की वास्तविक प्रक्रिया
पेंशन निदेशालय कभी भी पेंशन धारकों को ‘जीवन प्रमाण पत्र’ ऑनलाइन अपडेट करने के लिए कॉल नहीं करता है। यह प्रक्रिया हमेशा व्यक्तिगत रूप से होती है, और पेंशन धारक को पेंशन निदेशालय में जाकर अपने जीवन प्रमाण पत्र को अपडेट करना पड़ता है। यह प्रक्रिया सुरक्षा सुनिश्चित करती है और साइबर अपराध से बचाती है। इसलिए, किसी भी कॉल पर विश्वास न करें जो आपसे जीवन प्रमाण पत्र अपडेट करने के लिए ओटीपी मांगता है।
कैसे बचा जा सकता है
साइबर अपराध से बचने के लिए, सबसे पहले ओटीपी को कभी भी साझा नहीं करना चाहिए। पेंशन धारकों को किसी भी फोन कॉल से सतर्क रहना चाहिए जो जीवन प्रमाण पत्र को ऑनलाइन अपडेट करने के लिए कहे। इसके अलावा, किसी भी प्रकार की व्यक्तिगत जानकारी साझा करने से पहले उसके स्रोत की जांच करनी चाहिए। अगर आपको कोई संदेह हो, तो तुरंत साइबर क्राइम सेल से संपर्क करें
साइबर क्राइम सेल से संपर्क करें
यदि आपको ऐसा कोई फर्जी कॉल प्राप्त होता है, तो आपको तुरंत साइबर क्राइम सेल हजरतगंज पुलिस कमीशनरेट लखनऊ और cybercrime.gov.in पर राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर जा सकते हैं और ऑनलाइन शिकायत दर्ज कर सकते हैं। वे आपके मामले की जांच करेंगे और आवश्यक कार्रवाई करेंगे। साइबर क्राइम सेल आपके साइबर अपराध से जुड़े मामलों को हल करने में मदद करेगा और आपको सलाह देगा कि कैसे इस तरह के मामलों से बचा जा सकता है। आप तुरंत सहायता के लिए राष्ट्रीय साइबर अपराध हेल्पलाइन 1930 पर कॉल कर सकते हैं
आने वाली फर्जी कॉलों से सतर्क रहें
साइबर अपराध से बचने का सबसे अच्छा तरीका है सतर्क रहना। आने वाली फर्जी कॉलों से सावधान रहें और किसी भी अज्ञात स्रोत से कॉल आने पर सतर्क रहें। किसी भी कॉल पर भरोसा न करें जो व्यक्तिगत जानकारी या ओटीपी मांगता हो। साइबर क्राइम सेल से संपर्क करने में हिचकिचाएं नहीं, क्योंकि उनकी मदद आपके लिए महत्वपूर्ण हो सकती है।
जागरूकता का महत्व
साइबर अपराध से बचने का एक और तरीका है जागरूकता। पेंशन धारकों को जागरूक रहना चाहिए और दूसरों को भी इस नए ठगी के तरीके के बारे में सूचित करना चाहिए। जागरूकता के माध्यम से, हम साइबर अपराधियों के प्रयासों को विफल कर सकते हैं और पेंशन धारकों को सुरक्षित रख सकते हैं।
निष्कर्ष
पेंशन धारकों के लिए यह समय सावधानी बरतने का है। साइबर अपराधियों का नया तरीका उन्हें ठगने के लिए है, और ओटीपी साझा करने के परिणाम खतरनाक हो सकते हैं। इसलिए, ओटीपी को कभी भी साझा नहीं करना चाहिए, और किसी भी संदिग्ध कॉल को तुरंत रिपोर्ट करना चाहिए। साइबर क्राइम सेल हजरतगंज लखनऊ आपकी मदद के लिए उपलब्ध है। पेंशन धारकों को जागरूक रहना चाहिए और यदि आपको संदेह है कि आप साइबर अपराध के शिकार हुए हैं या किसी संदिग्ध ऑनलाइन गतिविधि को नोटिस करते हैं, तो त्वरित कार्रवाई करना महत्वपूर्ण है। आपको सभी विवरणों को दस्तावेज़ित करना चाहिए, जिसमें घटना की तारीख, समय, और विवरण शामिल हैं। साइबर अपराध की रिपोर्ट करने या मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए, आप cybercrime.gov.in पर राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर जा सकते हैं और ऑनलाइन शिकायत दर्ज कर सकते हैं। यह पोर्टल साइबर अपराध के शिकार हुए लोगों को आसानी से अपनी शिकायतें रिपोर्ट करने और सहायता प्राप्त करने में मदद करने के लिए भारत सरकार की एक पहल है इसके अलावा, आप तुरंत सहायता के लिए राष्ट्रीय साइबर अपराध हेल्पलाइन 1930 पर कॉल कर सकते हैं। हेल्पलाइन इस तरह के मामलों में सहायता प्रदान करने के लिए डिज़ाइन की गई है और आपको साइबर अपराध के शिकार होने पर अगला कदम उठाने में मदद करती है। – जवान टाइम्स