Canine Warriors of the Indian Army: Army Dogs are a force multiplier
भारतीय सेना के कैनाइन योद्धा, जो न सिर्फ सेना/ सुरक्षा बलों के साथी होते हैं बल्कि ऑपरेशन्स में फोर्स मल्टीप्लायर की भूमिका भी निभाते हैं, आज हमारे सम्मान के पात्र हैं। इन योद्धाओं की कुशलता और समर्पण हमारे लिए गर्व की बात है। ऐसे ही एक बहादुर (श्वान) कैनाइन योद्धा, ‘मेरू’, 22 Army Dog Unit के प्रतिष्ठित सदस्य, अपनी 9 वर्षों की सेवा के बाद अब रिटायरमेंट के लिए मेरठ स्थित आरवीसी सेंटर की ओर प्रस्थान कर रहे हैं।
मेरू का सफर बहुत ही रोमांच भरा रहा है। उनके योगदान को शब्दों में बांध पाना मुश्किल है। आतंकवादियों की खोज हो, विस्फोटक का पता लगाना हो या फिर मुश्किल हालातों में सैनिकों की सहायता करना हो, मेरू ने हमेशा अपनी भूमिका को बखूबी निभाया है। उनकी मेहनत और निष्ठा ने कई ऑपरेशन्स को सफल बनाया है।
22 Army Dog Unit के सदस्य के रूप में, मेरू ने अपनी योग्यता और साहस का प्रदर्शन करते हुए कई चुनौतियों का सामना किया। उनके साथियों के साथ उनकी अनकही भाषा और उनके प्रति अटूट विश्वास ने ऑपरेशन्स को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
मेरू की यात्रा अब आरवीसी सेंटर मेरठ की ओर है, जहां वे अपनी बाकी की ज़िन्दगी शांति और आराम में बिताएंगे। यह सफर उनके साहस और बलिदान का सम्मान है। उनकी सेवा के लिए भारतीय सेना और सम्पूर्ण राष्ट्र उनके प्रति कृतज्ञ हैं। मेरू जैसे कैनाइन योद्धाओं के बिना हमारे सुरक्षा बलों का काम अधूरा है।
हमारी सलाम और शुभकामनाएँ मेरू के साथ हैं। उनकी बहादुरी और सेवा को नमन। भारतीय सेना के कैनाइन योद्धाओं के इस महान कार्य को हम कभी नहीं भूलेंगे।
जय हिंद!